आखिर वही हुआ (Aakhir Wahi Hua / Nandi Lal)

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बतौर गजलकार नंदी लाल ‘निराश’ ने अपनी रचनाधर्मिता से सबको प्रभावित किया है। इस संग्रह में इनका जीवनानुभव दृष्टिगोचर होता है। मुझे यकीन है कि इनकी सहज और सरल भाषा इनकी गजलों को जन सामान्य के बीच भी लोकप्रिय बनाएगा। इस संग्रह की गजलों में सामाजिक, राजनैतिक एवं धार्मिक विसंगतियों को रेखांकित किया गया है। साथ ही इसमें नीति उपदेशक शे’रों का होना संग्रह को और भी ज़्यादा पठनीय बनाता है।
कहीं न कहीं अपनी गजलों के सहारे कवि नंदीलाल ‘निराश’ दो पीढ़ियों के बीच सेतु बाँधने का काम करते हुए नजर आते हैं, एक सुदृढ़ समाज और राष्ट्र की परिकल्पना करते हुए प्रयासरत दिखते हैं, साथ ही हमारे अतीत, हमारे खोए हुए आदर्श को पुनः स्थापित करने का प्रयास करते हुए नजर आते हैं।

 

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