यहाँ अब रोशनी होगी (Yahan Ab Roshni Hogi / Parmanand Bhatt Param)

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हिंदी के समकालीन ग़ज़ल-परिदृश्य के एक महत्वपूर्ण ग़ज़लकार के रूप में परमानंद भट्ट जाने जाते हैं। इनकी ग़ज़लों में गाँव और शहर दोनों की गूंज है। इनकी ग़ज़लें समय में देर तक टिकनेवाली ग़ज़लें हैं। इनकी ग़ज़लें आज के लिए प्रासंगिक हैं तथा नया अर्थ प्रदान करती हैं। ये अपनी ग़ज़लों के माध्यम से पाठक को एक ऐसी दुनिया में ले जाते हैं, जिस दुनिया में रंग, रोशनी, प्रेम, सौहार्द तथा सद्भाव के साक्षात दर्शन होते हैं। यही सद्भाव इन्हें समकालीन ग़ज़लकारों की पंक्ति ले जाकर खड़ा कर देता है।

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