‘विकल्प’ राजेन्द्र वर्मा की लघु कहानियाँ का संग्रह है। ‘लघु कहानी’ सुनने में अंग्रेज़ी की शॉर्ट स्टोरी जैसी लगती है, लेकिन वह तो आज की हिन्दी ‘कहानी’ है। लघु कहानी से लेखक का आशय उस कथात्मक रचना से है जो लघु कलेवर की है, पर आज की प्रचलित कहानी की तरह उसमें कथानक को विस्तार देने हेतु अपेक्षित विवरण नहीं है। देखने में वह लघुकथा जैसी है, पर वह ‘लघुकथा’ नहीं है। लघुकथा में अन्य बातों के अलावा किसी क्षण को पकड़ना होता है, जिसका ‘लघु कहानी’ में अभाव रहता है। आज लघु कलेवर की एक-दो पृष्ठीय अनेक कहानियाँ शायद इसी कारण लघुकथा कहलाए जाने से वंचित हैं, यों लघुकथा के अन्य गुण उनमें विद्यमान रहते हैं।
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