‘वैशाली की नगरवधू’ चतुरसेन शास्त्री की सर्वश्रेष्ठ रचना है। यह बात स्वयं आचार्य ने इस पुस्तक के सम्बन्ध में उल्लिखित किया है – “मैं अब तक की अपनी सारी रचनाओं को रद्द करता हूँ, और वैशाली की नगरवधू को अपनी एकमात्र रचना घोषित करता हूँ।”
श्वेतवर्णा क्लासिक्स’ पाठकों तक हिन्दी साहित्य की उत्कृष्टतम रचनाओं को उनके मूल और त्रुटिहीन रूप में पहुँचाने की एक ईमानदार कोशिश है। पीढ़ियों पहले रची गई ये रचनाएँ पाठकों को अतीत के उन लम्हों को जीने का सुअवसर प्रदान करती हैं जो हमारे आज का आधार बनी हैं। समाज के एक दर्पण के रूप में ये ‘क्लासिक साहित्य’ हमें बताते हैं कि हमने एक समाज के रूप में कहाँ से कहाँ तक की यात्रा कर ली है।
Discount 14%
Author | Aacharya Chatursen |
---|---|
Format | Hardcover |
ISBN | 978-93-95432-20-7 |
Language | Hindi |
Pages | 640 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
Reviews
There are no reviews yet.