सभी लगते हैं मुझको एक जैसे (Sabhi Lagte Hain Mujhko Ek Jaise / Vikas)

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विकास की छिटपुट ग़ज़लें मैंने सोशल मीडिया पर पढ़ी हैं और अब इस ग़ज़ल-संग्रह की पांडुलिपि के माध्यम से एक साथ उनकी 81 ग़ज़लें पढ़ने को मिली हैं। इनको पढ़ते हुए प्रथमतः मुझे महसूस हुआ कि विकास की इन ग़ज़लों के पीछे बहुत अभ्यास और मशक्कत है। कम से कम इनके छंदानुशासन को लेकर तो मैं यह कह ही सकता हूँ।
इन ग़ज़लों की भाषा बिलकुल आसान है। उर्दू के जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है वे हमारी बोलचाल में शामिल हैं और उनमें अर्थ का कोई संकट नहीं। अंग्रेज़ी के भी इस प्रकार के शब्दों का कहीं-कहीं प्रयोग मिलता है जो हमारे दैनिक व्यवहार में हैं जैसे यूज़, सिस्टम, कूल इत्यादि। कुल मिलकर इन ग़ज़लों का कथ्य-संसार व्यापक है और इनका शिल्प भी सधा हुआ है।

-ओमप्रकाश यती

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