रास्ता बनकर रहा (Rasta Bankar Raha / Rahul Shivay)

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राहुल शिवाय की ग़ज़लों की विषयवस्तु के केंद्र में आम आदमी और उससे जुड़ी तमाम चीज़ें हैं। सियासत का छल-कपट, जनता के प्रति उसका ग़ैर ज़िम्मेदाराना रवैया, खेती और किसान की उपेक्षित तथा दयनीय स्थिति, समाज में निरंतर बढ़ता हुआ अलगाव, एक समुदाय का दूसरे के प्रति बढ़ता अविश्वास, इस वैमनस्य के नुक़सान, एक होकर रहने के फ़ायदे, परिवार और रिश्ते-नातों की स्थिति, राजनीति से लेकर आम आदमी के जीवन में लगातार होता नैतिक मूल्यों का ह्रास आदि वे तमाम स्थितियाँ-परिस्थितियाँ इनकी ग़ज़लों बराबर दिखती रहती है। इसके अलावा एक साधारण इंसान की अपने आप से और अपने परिवेश से होती जद्दोजहद भी दिखाई पड़ती है। साथ ही साथ प्रेम के दोनों पक्ष भी हमें इनकी ग़ज़लों में देखने को मिलते रहते हैं। प्रेम का ग्राहस्थ स्वरूप यानी परिपक्व रूप इनकी ग़ज़लों में बहुत गाढ़ेपन के साथ मिलता है। कुल-मिलाकर एक ऐसी स्थिति बनती है कि जनवाद की प्रमुखता के साथ ही जीवन के विविध रूप भी इनकी ग़ज़लों में उपस्थित मिलते हैं।

ISBN

978-93-92617-95-9

Author

राहुल शिवाय

Format

Paperback

Language

Hindi

Pages

112

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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