क्षण के साथ चलाचल (Kshan Ke Sath Chalachal / Aacharya Krishnkant Chaturvedi)

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‘क्षण के साथ चलाचल’ आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी जी की नवीतम काव्य कृति है। संकलन की परिपक्व रचनाओं में रस का परिपाक इस तरह हुआ है कि मन-प्राण झूम उठते हैं। विश्ववाणी हिंदी के श्रेष्ठ-ज्येष्ठ रचनाकार आचार्य जी की अनुभूतियाँ जागतिक कम अलौकिक अधिक हैं। यह उनकी प्रगाढ़ कृष्ण भक्ति का प्रभाव है। कृति में संस्कारधानी जबलपुर और पयस्विनी नर्मदा जी के प्रति व्यक्त उद्गार मोहक हैं।
आचार्य जी ने पारिवारिक प्रसंगों की लघु कविताओं के माध्यम से लक्षणा का प्रयोग करते हुए चुटीली क्षणिकाएँ भी दी हैं। इस संकलन में आरंभिक रचनाओं की प्रस्तुति शोध छात्रों के लिए उपयोगी है। विविध रसों में आचार्य जी का परिपक्व लेखन नव रचनाकारों के लिए पाठ्य पुस्तक और संदर्भ ग्रंथ की तरह बहुउपयोगी है।
‘क्षण के साथ चल’ में नश्वरता और ‘क्षण के साथ अचल’ में अनश्वरता का गंगो-जमुनी मिलन अद्भुत है। यह कृति हिंदी साहित्यागार का अनमोल रत्न है।

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