Amritkaal Ki Adhunik Gazalein / Ramesh Kanwal

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अमृतकाल की आधुनिक ग़ज़लें परम्परा के धरातल पर हिन्दी ग़ज़ल की नयी लहलहाती फ़सल है। यह भाषाई विविधता, कथ्य का विस्तार, नये कंटेट को प्रस्तुत करते हुए भी शिल्पगत अनुशासन से कहीं भी विलग नहीं हुआ है। मौजूदा समय का यथार्थ प्रतिबिम्बों और प्रतिध्वनियों के माध्यम से इन ग़ज़लों में अभिव्यक्त हुआ है। मानवीय संवेदनाओं, जीवन की जटिलताओं, विद्रूपताओं, विसंगतियों को अभिव्यक्त करते हुए ये शे’र कालजयी होने की छटपटाहट को जीने की बजाय आज की प्रासंगिकता को अधिक महत्व देने वाले हैं। प्रेमचंद की कहानियों की तरह ही इस संग्रह की ग़ज़लें भविष्य के लिये अमृतकाल का इतिहासबोध प्रस्तुत करने वाली हैं।

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