ज़मीं पर चाँद लाना है / आरती आलोक वर्मा

249.00

Buy Now
Category: Tag:

हिंदी ग़ज़ल के क्षेत्र में मुट्ठी भर महिला ग़ज़लकार ही हैं जो सामाजिक सरोकार को व्यापक बनाते हुए रचनात्मक प्रतिबद्धता के साथ लेखन करती हैं। ‘ज़मीं पर चाँद लाना है’ आरती आलोक वर्मा का दूसरा ग़ज़ल संग्रह है। आज की ग़ज़ल इश्किया शायरी से अलग जीवन की मूलभूत समस्याओं और उससे उपजी दुश्वारियों को व्यक्त करना अपना धर्म समझती है। बदलते वक़्त में ग़ज़ल लेखन के केंद्र में भूख, बेरोज़गारी, गरीबी, भूमंडलीकरण, पर्यावरण, स्त्री सशक्तिकरण, भ्रूण हत्या जैसे गंभीर मुद्दे हैं। भूख से तड़पते व्यक्ति के लिए प्रेम महत्वपूर्ण कदापि नहीं हो सकता! पर, इसका अर्थ यह भी नहीं निकाला जा सकता है कि प्रेम जीवन के लिए आवश्यक ही नहीं है। प्रेम शाश्वत सत्य है। जिसकी अनुभूति न केवल मनुष्य बल्कि पेड़-पौधों एवं जीव-जंतुओं को भी होती है। अतः प्रेम ग़ज़ल से गायब हो जायेगा या हो सकता है, यह कहीं से भी तर्कसंगत नहीं है।
आरती आलोक वर्मा एक ऐसी ग़ज़लकार हैं जिनकी ग़ज़लों में प्रेम के स्वर के साथ-साथ सामाजिक मुद्दे भी उतनी ही गंभीरता के साथ उभर कर आए हैं।

-डॉ. भावना

Author

आरती आलोक वर्मा

Format

Paperback

ISBN

978-93-49136-40-3

Language

Hindi

Pages

112

Publisher

Shwetwarna Prakashan

Genre

ग़ज़ल

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “ज़मीं पर चाँद लाना है / आरती आलोक वर्मा”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shopping Cart
Scroll to Top