ये और बात है (Ye Aur Baat Hai / Sanjeev Prabhakar)

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संजीव प्रभाकर की ग़ज़लों की लोकप्रियता और सफलता का कारण भाषा की सादगी है। ये बड़ी से बड़ी बात को सहज ढंग से प्रस्तुत कर देते हैं।पाठकों को समझने में कोई दिक्कत नहीं होती। इन्होंने पारंपरिक ग़ज़ल की जटिलताओं के चढ़ाव को पार कर तनिक ठहरकर ध्यान के साथ देखने और समझने में समय लगाया है। यही कारण है कि इनकी ग़ज़लें पाठकों के समीप उनके लिए परिचित हो गईं हैं।
संजीव प्रभाकर की ग़ज़लों में इनकी वैविध्यपूर्ण जीवन दृष्टि व्यक्त हुई है।पठनीयता भी सुकून देती है। एक विशाल पाठक वर्ग इनके संग्रह की प्रतीक्षा में है।

Author

Sanjeev Prabhakar

Format

Hardcover

Language

Hindi

Pages

168

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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