‘यत्र योगेश्वर: कृष्णो’ मूल श्रीमद्भागवद्गीता’ के संस्कृत श्लोंकों का हिन्दी काव्यात्मक अनुवाद है। इस संग्रह में सरल भाषा में उन अठारह योगों के बारे में बताया गया है जिनका वर्णन कर भगवान् कृष्ण ने अर्जुन के अंदर बसे प्रेम , मोह और भय को दूर किया था। आधुनिक युग के लिए गीता का यह काव्यात्मक स्वरूप वरदान की तरह है।
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