सीमाहरि शर्मा के गीत कल्पना से नहीं यथार्थ की जमीन से सरोकार रखते हैं। सामाजिक सरोकार इन गीतों का प्राण है। संग्रह के गीतों में सामाजिक पीड़ा है तथा अनुभूतियों, संवेदनाओं, पीड़ाओं की संगीतमयी अनुगूँज है। ये समय की नब्ज पर प्रतिक्षण अपना हाथ रखते हुए चलते हैं। गीत बहुत ही प्राणवान एवं संवेदना के धरातल पर खड़े हैं। युगबोध की मर्मस्पर्शी एवं चिन्तनमय अभिव्यक्तियों के गीत हैं। जीवनबोध से संपृक्त ऐसे गीत हैं जिन्हें पढ़कर यह महसूस होता है जैसे अपने अनुभव की जमीन से जुड़े गीत हैं, यही सच्ची सार्थकता है। इन गीतों में जीवन के कई बिम्ब उभरे हैं एवं आज के समाज के सारे रूप अंकित हैं।
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