श्री प्रदीप कुमार की पहली पुस्तक ‘अंततः अंतरिक्ष साल भर पहले प्रकाशित होकर अब पुरस्कृत भी हो चुकी है। ‘विज्ञानः अतीत से आज तक’ उनकी दूसरी पुस्तक है। इसमें उन्होंने अज्ञान के अंधेरे में डूबे सुदूर अतीत से लेकर विज्ञान के प्रकाश से जगमगाते वर्तमान के साथ ही विज्ञान की भावी संभावनाओं की भी रोचक बानगी पेश की है। प्रदीप के विज्ञान लेखन की खासियत यह है कि वे विज्ञान के विविध विषयों की जानकारी को समझ-बूझ कर आम पाठकों के समझने लायक भाषा-शैली में प्रस्तुत करते हैं। इनका लेखन गहन अध्ययन पर आधारित होता है। विज्ञान की लंबी समय यात्रा को सहज ढंग से समझाने के लिए इन्होंने अपनी इस पुस्तक में विज्ञान के विविध विषयों की जानकारी को सात खंडों में संजोया है विज्ञान और मानव संस्कृति में ब्रह्मांड, प्राचीन भारत में वैज्ञानिक सृजन: मिथक और यथार्थ, खोज और खतरे, विज्ञान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण, विज्ञान के नए आयाम, मन के साधे सब सधै, और जिन्होंने विज्ञान की इबारत गढ़ी। इन सातों खंडों के तहत विभिन्न अध्यायों में विज्ञान की विषयवार जानकारी को तर्कसंगत ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
• देवेन्द्र मेवाड़ी, विज्ञान लेखक
Shri Pradeep Kumar ki pahali pustak ‘antatH antarikS saal bhar pahale prakaashit hokar ab puraskRit bhi ho chuki hai. ‘vij~naanH ateet se aaj tak’ unaki doosari pustak hai. Isamen unhonne aj~naan ke andhere men Doobe sudoor ateet se lekar vij~naan ke prakaash se jagamagaate vartamaan ke saath hi vij~naan ki bhaavi sanbhaavanaaon ki bhi rochak baanagi pesh ki hai. Pradeep ke vij~naan lekhan ki khaasiyat yah hai ki ve vij~naan ke vividh viSayon ki jaanakaari ko samajh-boojh kar aam paaThakon ke samajhane laayak bhaaSaa-shaili men prastut karate hain. Inaka lekhan gahan adhyayan par aadhaarit hota hai. Vij~naan ki lanbi samay yaatra ko sahaj Dhang se samajhaane ke lie inhonne apani is pustak men vij~naan ke vividh viSayon ki jaanakaari ko saat khanDon men sanjoya hai vij~naan aur maanav sanskRiti men brahmaanD, praacheen bhaarat men vaij~naanik sRijan: mithak aur yathaarth, khoj aur khatare, vij~naan aur vaij~naanik dRiSTikoN, vij~naan ke nae aayaam, man ke saadhe sab sadhai, aur jinhonne vij~naan ki ibaarat gaDhee. In saaton khanDon ke tahat vibhinn adhyaayon men vij~naan ki viSayavaar jaanakaari ko tarkasangat Dhang se prastut kiya gaya hai.
-Devendra Mewadi, Vigyan Lekhak
Shwetwarna Prakashan –
क्या आप हिंदी में विज्ञान विषय पर पढ़ना पसंद करते हैं? यदि हां तो मैं आपको “प्रदीप” की पुस्तक “विज्ञान : अतीत से आज तक” पढ़ने की सिफारिश करूंगा।
इस पुस्तक में प्रदीप ने गागर में सागर कहावत को चरितार्थ करते हुए विज्ञान के जन्म, शैशवकाल और वर्तमान स्वरूप को बहुत ही खूबसूरती से उकेरा है,
प्रदीप की लेखन शैली की सबसे खास बात है की वे विज्ञान जैसे जटिल विषयों को भी इतनी सरल भाषा में पिरो कर आम जनमानस के लिए बोधगम्य बना देते हैं विज्ञान सीखना बच्चों का खेल हो जाता है, विषय पर उनकी पकड़ इतनी बेहतरीन होती है की पाठक को कहीं से भी नीरसता का अनुभव नहीं होने देते। इस पुस्तक को पढ़ने के लिए जरूरी नहीं की आप विज्ञान के विद्यार्थी हों, पुस्तक में कुछ जगह हालांकि विज्ञान की आधारभूत समझ होना जरूरी है, मुझे लगता है कक्षा 8 तक की विज्ञान की जानकारी रखने वाले लोगों को ये पुस्तक आसानी से समझ आ जायेगी
इस शानदार पुस्तक के लिए साधुवाद और भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाओं सहित
-जीतेंद्र गिरि
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