साहित्य का प्रादुर्भाव पीड़ा और वियोग ही तो हुआ है। जिस हृदय में अनुभूतियाँ, संवेदनाएँ, दर्द अथवा भावुकता नहीं मिलती, वहाँ साहित्य भी नहीं उपजता। सामाजिक विसंगतियाँ भी तो लिखने को प्रेरित करती हैं। तभी तो, साहित्य को समाज का दर्पण कहा गया है। लेखक कुछ भी समाज से पाता है, लेखन के माध्यम से समाज को लौटाता है। डॉ. प्रीति धनखड़ संवेदनाओं एवं संभावनाओं का ही दूसरा नाम हैं। ‘वर्जनाएँ’ इनका कहानी संग्रह है। इन कहानियों में विषयों की विविधता है, भावों की गहराई है और समाज की सच्चाई है। संवेदनाएँ हमारी ज़िन्दगी का अहम हिस्सा हैं। भाव पक्ष के साथ-साथ कहानियों का कला पक्ष भी सबल है। बोधगम्य भाषा शैली, अलंकारों, बिंबों, प्रतीकों आदि के प्रयोग ने इनको और अधिक गहराई दी है।
Author | Dr. Priti Dhankhad |
---|---|
Format | Paperback |
ISBN | 978-81-984164-6-9 |
Language | Hindi |
Pages | 112 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
Be the first to review “वर्जनाएं (Varjnayen / Dr. Priti Dhankhad)” Cancel reply
Related products
मुस्कान तुम्हीं हो जीवन की (Muskan Tumhin Ho Jeevan Ki / Ranjan Kumar Jha)
₹160.00Original price was: ₹160.00.₹125.00Current price is: ₹125.00. Add to cartBuy Nowआज का यक्ष प्रश्न (Aaj Ka Yaksh Prashna / Harinarayan Singh Hari)
₹160.00Original price was: ₹160.00.₹150.00Current price is: ₹150.00. Add to cartBuy Now
Reviews
There are no reviews yet.