अनूप अशेष वरिष्ठ और प्रख्यात कवि हैं। इनके नवगीतों को पढ़ना कविता का सम्मान करना है। अनूप अशेष जीवन को देशज बिम्बों से रचने वाले अकेले और अपनी छान्दिक अभिव्यक्ति में नए, अछूते प्रतीकों के अप्रतिम कवि हैं। इनके सृजना से कविता की नवगीत विद्या समृद्ध हुई है। इनके नवगीतों मे सृश्य संवेदना का दृश्य-लोक दृष्टिगत होता है। अनूप अशेष लोक से जो लेते हैं, उसे मूल-ब्याज सहित अपनी रचनाओं द्वारा लोक-सृष्टि को वापस भी करते हैं। सच तो यह है कि अनूप अशेष ऋण-शोधक कवि हैं।
अनूप अशेष को यह जीवन और समाज समृद्ध करता है। इनके नवगीतों में लोक का एक पूरा जीवन अपनी मौलिक अदाओं के साथ उपस्थित है। ये उसे देखक नहीं, जीकर अपने अनुभवों में बाँधते हैं। एक कवि अपनी रचना को कुछ खास बारीकियों के चलते ही अपनी पहचान बनाता है, अपनूप अशेष भी अपनी यह पहचान बनाते हैं।
आज के सोए हुए अछान्दिक कवि-समय में अनूप अशेष अपनी छान्दिक कविताओं से समस्थ आलोचकीय विपरीतता को अनुकूल बनाने में सफल रहे हैं। अनूप अशेष अपनी इस बीसवीं कृति ”उड़ जाऊँगा मैं एक दिन“ को अपनी अंति कृति मान रहे हैं, किन्तु ऐसा न हो। इनके दीर्घ जीवन के लिए, दीर्घ-सृजनकाल के लिए अशेष शुभकामनाएँ।
Author | Anoop Ashesh |
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Format | Hardcover |
ISBN | 978-93-90135-72-1 |
Language | Hindi |
Pages | 112 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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