तुम्हारे प्रेम की पंखुड़ियाँ / डॉ. अंजनी कुमार सुमन

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प्रेम-शब्द नहीं, एक दीर्घ साँस है जो युगों से कविता को जीवित रखे हुए है। वह किसी एक युग की सम्पत्ति नहीं, किसी एक रचना का संदर्भ नहीं बल्कि समूची काव्य-धारा का अविरल स्रोत है। प्रेम वह नाद है, जिससे समस्त शब्दों को अर्थ मिलता है और कवि को आत्मा। डॉ. अंजनी कुमार सुमन के इस नवीनतम प्रेम-कविता-संग्रह ‘तुम्हारे प्रेम की पंखुड़ियाँ’ में प्रेम की वही अनश्वर लय सुनाई देती है-कोमल, गहन किन्तु अत्यन्त सजग।
ये कविताएँ केवल आकर्षण या स्मृति के भावचित्र नहीं हैं बल्कि प्रेम के उस सूक्ष्म, अलिखित, अदृश्य स्पर्श को रचती हैं, जहाँ नायक और नायिका से अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है वह भावना जो उनके बीच झरती है, रह-रहकर गूँजती है। यहाँ कवि प्रेम को शब्दों में नहीं बाँधते, वह उसे धीरे-धीरे खोलते हैं-पंखुड़ी-दर-पंखुड़ी-जैसे किसी वासंती गुलाब के सामने देर तक मौन खड़े रहने से उसकी सुवास पाठक के भीतर उतरने लगती है। ऐसी ही काव्यसुगम सुवासना इनके काव्य में मौजूद है।

-प्रो. (डॉ.) रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’

Author

डॉ. अंजनी कुमार सुमन

Format

Paperback

Language

Hindi

ISBN

978-93-49947-67-2

Pages

104

Genre

कविता

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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