तुम फिर आना (Tum Fir Aana / Vimla Rastogi)

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इस संग्रह की सभी कहानियाँ अपने कथ्य के अनुसार बोलती बतियाती नज़र आ रही हैं। भाषा सरल सहज और स्वाभाविक है। अंग्रेजी के लोकप्रचलित शब्दों का प्रयोग भी हुआ है। कहानियों में सपाटबयानी देखने को मिलती है। कहानीकार की लेखनी अनुभवों पर आधारित है। एक बार आप इन्हें पढ़ना शुरू करेंगे तो पढ़ते ही जायेंगे। विमला जी की यह कृति उनका कीर्ति स्तंभ बने, ऐसी शुभकामना करता हूँ।
-नरेंद्र सिंह ‘नीहार’
शिक्षाविद एवं साहित्यकार
नई दिल्ली

Author

Vimla Rastogi

Format

Paperback

ISBN

978-81-1923-18-43

Language

Hindi

Pages

68

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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