तुलसी बाबा फिर से आओ (Tulsi Baba Fir Se Aao / Anil Kumar Jha)

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समर्थ गीत-कवि श्री अनिल कुमार झा ने ‘तुलसी बाबा फिर से आओ’ रचकर तुलसी की प्रासंगिकता को एक टेक दी है। तुलसी ने लोक और वेद सबको जाँचा, परखा-तब उसे स्वीकार किया। तुलसी को इसी कसौटी पर अनिल जी ने तुलसी को परीक्षित तथ्यों को अलग-अलग कोणों से स्वयं देखने की कोशिश की है। इस क्रम में यह कृति एक टेक से जुड़ा एक सौ आठ कड़ियों का एक लम्बा गीत ही है।
तुलसी ने ‘जिमि मुख मुकुर-मुकुर निज पानि’ कहकर राम को सहज पहुँच के भीतर और मुश्किल से भी प्राप्त होने वाला बतला दिया है। तुलसी का इशारा है राम को सबकुछ छोड़कर समर्पित भाव से एकनिष्ठ होकर प्राप्त किया जा सकता है। रामकथा के आधुनिक युग के गायकों में अनिल कुमार झा ने अपना नाम जोड़कर तुलसी की अनवरत चल रही रामकथा के स्वर में अपना स्वर भी मिलाया है और विश्व की सारी समस्याओं के निदान के लिए चार शती पूर्व तुलसी के दिये हुए सूत्र को ‘रामबाण’ औषधि बतलाई है।

Author

Anil Kumar Jha

Format

Paperback

ISBN

978-81-974259-9-8

Language

Hindi

Pages

128

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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