डॉ. शलभ की ग़ज़लों के मूल कथ्य, विषय वैविध्य, बिंबों, उपमाओं, रूपकों आदि पर प्रकाश डालें तो ये स्पष्ट है कि उनके अश’आर की पहुँच (reach) एवं विरोधी व समावेशी प्रकृति उनके लेखन की सांकेतिक व स्पष्ट दोनों प्रकार के कहन की विधा को उद्धृत करती है। उनके अश’ आर में शेरियत यानि ग़ज़ल का रंग, ग़ज़लियत या तराजुल और ग़ज़ल के भाव, मधुरता व सुंदरता को बनाए रखते हुए अपनी अभिव्यक्ति को पाठकों तक पहुँचा सकने की भरपूर क्षमता भी है और दक्षता भी। यही उनकी शाइरी का केंद्र बिंदु है; आवाम की अनेकानेक व्यथाओं को प्रकट करना और सरकारी नॉन परफॉर्मेंस को कटघरे में खड़ा करना।
डॉ. गुप्ता का यह ग़ज़ल संग्रह वर्तमान समय की विसंगतियों, विद्रूपताओं और कुरीतियों के विरोध में आवाम के भावों की तीक्ष्ण अभिव्यक्ति को प्रकट करता है और यही ‘त्रिशूल’ के लेखन का सत्य है।
– हृदयेश मयंक
Reviews
There are no reviews yet.