बिहार के एक सुंदर गाँव की जंगजू बेटी, जो जीवन के उन तमाम तरह की समस्याओं से भी रूबरू हो चुकी है, जो अक्सर हमें सालते हैं। ताल्लुकात रखने वालों की आंखों की भाषा पढ़ने के बाद स्वराक्षी जी ने अपने उन खट्टी-मीठी यादों व अनुभव की पोटली को तिमिरान्तिका काव्य संग्रह के रूप खोला है। इसमें प्रेम-विरह, संकल्प, संदेश व ‘नारी-विमर्श’ की दृष्टि व से वह सब विचारणीय विषय है, जो किसी भी काव्य-संग्रह को पठनीय व मनन के योग्य बनाता है। पुरुष प्रधान समाज की रूढ़ि-वादी, दकियानूसी सोच के विरुद्ध एक आवाज बनकर उभरी, नारी सशक्तिकरण की इक मिशाल बन कर हमारे सामने खड़ी है।
Author | स्वराक्षी स्वरा |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-93-91081-95-9 |
Language | Hindi |
Pages | 124 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
Pk –
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