रौशनी है आपसे (Raushani Hai Aapse / Vigyan Vrat)

200.00

Minus Quantity- Plus Quantity+
Buy Now
Category: Tag:

विज्ञान व्रत समकालीन हिन्दी ग़ज़ल के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। छोटी बहरों में बड़ी बातों को कहने वाले इस ग़ज़लकार के पास विस्तृत अनुभव-लोक है। काल्पनिक उक्तिवैचित्र्य में डूबे उर्दू ग़ज़ल परम्परा से इतर इन्होंने अपनी ग़ज़लों को यथार्थ का दर्पण बनाकर प्रस्तुत किया है। इनकी भाषायी कुशलता इनकी ग़ज़लों को आमजनमानस को अपनी भाषा प्रदान करती है। सूक्तियों की तरह अपनी बातों को प्रस्तुत करने वाला यह ग़ज़लकार उम्मीद और जिजीविषा के सूत्र प्रदान करने वाला है और यही इनकी परिपक्वता और गाम्भीर्य स्वभाव का भी परिचय देती है। इनकी ग़ज़लों में समकालीन विसंगतियाँ अभिव्यक्त हुई हैं, वहीं समाधान के प्रयास भी नज़र आते हैं। कहन की बारीकियों और कथ्य की उत्कृष्टता वाला यह ग़ज़लकार मानवीय सम्वेदना और ग़ज़ल की मनुष्यता का जीवन्त दस्तावेज़ प्रस्तुत करता है।

Shopping Cart