डॉ. अभिषेक एक संभावनाशील कवि के रूप में उभरे हैं। अपनी शुरुआती भावुक और मांसल-प्रेम की कविताओं को पीछे धकेलते हुए डॉ. अभिषेक ने जनपक्षधरता की जो प्रतिरोधी मशाल थामी है, आशा करता हूँ इसकी रोशनी पूरी धरा के कोने-कोने तक जाएगी।
भाषा की प्रांजलता और रवानी डॉ. अभिषेक की कविताओं की एक ऐसी विशेषता है जो इन्हें पठनीयता प्रदान करती है।
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