रानी लचिका (Rani Lachika / Aniruddh Prasad Vimal)

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‘रानी लचिका’ अंगिका भाषा की प्रसिद्ध लोकगाथा पर आधारित एक रोचक एवं महत्वपूर्ण उपन्यास है। इसकी प्रासंगिकता वर्तमान समय की राजव्यवस्था, स्त्री विमर्श, सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश की समृद्धता-सम्पन्नता की ओर विशेष ध्यान आकृष्ट करती है। इसके अतिरिक्त राज्य के अंतर्गत होने वाले अन्याय, अपहरण, अनैतिक कार्यों आदि पर शासन प्रशासन की नीति, समाज में प्रेम, न्याय, करूणा जैसे मानवीय भावों-मूल्यों के प्रचार-प्रसार आदि में योगदान को भी इसमें देखा-समझा जा सकता है। इस उपन्यास में आदि से अंत तक चाहे राजमाता चन्द्रावती हों, या रानी लचिका, वे बुद्धिमान, कुशल राज-प्रशासक एवं वीरांगना दिखाई पड़ती है। उनकी सुंदरता, राज्य संचालन की कुशलता, प्रजा के प्रति संवेदनशीलता, राज्य के उत्थान हेतु साहित्य कला, संगीत के साधकों का सम्मान, राज्य की शांति, सुव्यवस्था एवं बाहरी-भीतरी सुरक्षा, प्रकृति-नवसंपदा की उन्नति और देखभाल आदि बहुत कुछ मानोत्थान हेतु प्रेरित करता है। वर्तमान परिदृश्य में एक नये विमर्श की गुंजाइश छोड़ता है। इस अर्थ में ‘रानी लचिका’ की गाथा आज की भयानक, दुर्व्यवस्थित एवं लचर-भ्रष्ट राज्य-व्यवस्था को सुदृढ़ करने तथा स्त्री स्वातंत्र्य एवं स्त्री विमर्श के नये द्वार खोलती है।

Author

अनिरुद्ध प्रसाद विमल

Format

Paperback

ISBN

978-93-91081-81-2

Language

Hindi

Pages

144

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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