बृजनाथ जी की गजलें दुष्यंत–धारा की गजलों का प्रवर्तन एवं काफी हद तक संवर्धन है। उनकी गजलों की भाषा बहुधा साधारण और लोकव्यवहार की है। उनकी गजलें ताजगी भाव–वस्तु रवायत की दृष्टि से चुस्त-दुरुस्त हैं। जीवन के यथार्थ और लोकधारा से सीधा जुड़ाव होने के कारण गजलों का भावबोध अत्यंत सहज व सरल है। छोटी से छोटी बहरों में भी लिखी हुई उनकी गजलें पाठक के मन-मस्तिष्क पर अपनी छाप छोड़ने में सक्षम हैं।
-हरीलाल मिलन
Reviews
There are no reviews yet.