रग-रग में हैं राम (Rag-Rag Mein Hain Ram / Rajesh Jain Rahi)

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‘रग-रग में राम’ राजेश जैन ‘राही’ द्वारा घनाक्षरी छंद में रचित काव्य-संग्रह है। ‘राही’ जी की साहित्य साधना, उनकी भक्ति और समाज सेवा की पवित्र भावना का दर्पण है। संग्रह का हर पृष्ठ अपने आप में अनूठा है। पुस्तक के हर खण्ड में भक्ति तो प्रवाहित हो ही रही है, श्रीराम के प्रति श्रद्धा भी अलग ही अंदाज में बिखरती दिखती है। रामजी के बाल्यकाल से लेकर वनवास और फिर राज्याभिषेक तक के दृश्यों को जिस प्रकार शब्दों में पिरोकर परोसा गया है, उनके रामचरित मानस के गहरे ज्ञान, अविरल-निश्छल रामभक्ति और परिपूर्ण सृजन का प्रमाण है। निःसंदेह ‘राही’ जी की लेखनी, साधना, श्रद्धा और भक्ति की त्रिवेणी है। इस पुस्तक का हर खंड, हर पंक्ति, हर शब्द पाठक को कुछ अनूठा देने में समर्थ है।

Author

Rajesh Jain 'Rahi'

Format

Paperback

ISBN

978-81-969433-7-0

Language

Hindi

Pages

160

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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