जिंदगी का सफ़र सुहाना हो जाता है, जब रास्ते में चलते-चलते साथी जुड़ते जाते हैं। ऐसे ही मेरे सफ़र में मेरी सखियाँ किसी न किसी बहाने मिलीं और जुड़कर एक समूह बना। इस समूह की हर सदस्या अपने आप में विशेष योग्यता रखती है, इन्हीं योग्यताओं को प्रसार मिलने से समय समय पर कला सामने आती गई और शब्दों, चित्रों के माध्यम से व्यक्त हुई।
आज वही विचार, जो आपस में साझा हुए और जिसमें सबके हित की बात आगे रखी गई, पुस्तक के रूप में आप सबको समर्पित है।
Author | संपादक-रश्मि प्रभा |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-972569-0-5 |
Language | Hindi |
Pages | 128 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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