पंछी करते नहीं सियासत (Panchhi Karte Nahi Siyasat / Bhaurao Mahant)

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भाऊराव महंत छंदों की दुनिया का सुपरिचित नाम है। ‘पंछी करते नहीं सियासत’ इनका दूसरा ग़ज़ल-संग्रह है। कम शब्दों में बड़ी बात कहना ग़ज़ल की विशेषता है और भाऊराव महंत को इसमें विशेष सिद्धि प्राप्त है। वे अपनी ग़ज़लों में जहाँ समाज की तमाम विसंगतियों और विद्रूपताओं की ओर इशारा करते हैं, वहीं व्यक्तिगत जीवन में भोगे हुए यथार्थ को भी ईमानदारी से व्यक्त करने में नहीं चूकते। इनकी ग़ज़लों में नैतिकता बोलती है, मानवता फरियाद करती है तथा प्रतिरोध अपना स्वर बुलंद करता है। इस संग्रह में कुल 92 ग़ज़लें हैं। प्रत्येक ग़ज़ल अपने कहन, शिल्प के अनुशासन तथा मुहावरे की वज़ह से हमें मोहती है। कहीं वे ‘उल्लू बनाना’ जैसे मुहावरे का मारक इस्तेमाल करते हैं, तो कहीं ‘खूंटा उखाड़ने’ जैसी लोक कहावत के द्वारा अपने शेरों में जान डाल देते हैं।

-डॉ. भावना

Pages

112

ISBN

978-81-19590-04-9

Author

Bhaurao Mahant

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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