‘पंच पल्लव’ शब्द का अर्थ-आम, जामुन, कैंथ, बिजौरा तथा बेल के कोमल नवीन पत्ते। देखा जाए तो लोक-जीवन के साथ अध्यात्म में पाँच संख्या की बड़ी महत्ता है। प्रकृति-संरचना में पाँच को अनेक रूपों में निरूपित किया गया है। मैं समझता हूँ कवि की सतेज और सतर्क दृष्टि प्राकृतिक ‘रचना-कलश’ से अनभिज्ञ नहीं है। क्रमशः पाँच पल्लवों में विभक्त पुस्तक का नाम ‘पंच पल्लव’ रखना कवि की बाह्याभ्यंतर शुचिता को प्रकट करता है। सनातन संस्कृति की आस्था की दिव्यानुभूति कराता है तथा कृति में निबद्ध रचनात्मकता का बोध कराने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पल्लव के लिए कवि का आशय आस्था जनित पूजा हेतु लोक प्रचलित पद्धति के अनुसार आम्र के पवित्र पाँच पल्लवों से भी हो सकता है।
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