पैरहन दिल सी रहा हूँ (Pairahan Dil See Raha Hoon / Shivkumar Suman)

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शिव कुमार सुमन के ग़ज़ल लेखन का अपना ही अनुभव, दर्शन और अपनी ही व्यक्तिगत शैली है। शुद्ध आम बोलचाल की भाषा में कही गईं ग़ज़लें इश्क़िया भावनाओं और घिसे-पिटे अंदाज़ से परहेज करती हैं। इनके पास ग़ज़ल लेखन का अपना नज़रिया है, जिसमें जीवन की चिंताएँ तो हैं वहीं दूसरी और उन चिंताओं में जीवन के महकते फूल भी हैं। स्वाद और अस्वाद के बीच बिना किसी उलझाव और बिखराव के अपने दिल की बात को बड़े ही सादा शब्दों में कह जाते हैं। प्रस्तुत संग्रह की ग़ज़लों से गुज़रते हुए यह महसूस होता है कि इन ग़ज़लों में इनकी लम्बी जीवन-यात्रा की अर्जित विशाल अनुभव-सम्पदा और लम्बे साहित्यिक सफ़र की परिपकवता है, जिन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता।

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