नो वैकेंसी (No Vacancy / Shankar Prasad Verman ‘Kalriha’)

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श्रमिकों के आत्मगौरव की ललकार हैं कलरिहा की कविताएँ

“नो वैकेंसी” शंकर प्रसाद बर्मन ‘कलरिहा का मरणोपरांत प्रकाशित कविता संग्रह है, जिसमें उनकी 52 कविताएँ संकलित हैं। ‘कलरिहा’ नई कविता के कवि थे ‘और कविता में कोयला श्रमिकों के निर्विवाद प्रतिनिधि। कोयले के उजले और कोयला श्रमिकों के अँधेरे पक्ष को उन्होंने अपनी कविताओं की विषयवस्तु बनाया और पूरी त्वरा व तीव्रता से लिखते रहे। श्रमिकों के आत्मगौरव की ललकार उनकी कविताओं का मूल स्वर है, तथापि बच्चों और महिलाओं के साथ ही समाज की तमाम विद्रूपताओं पर भी उन्होंने पूरी संजीदगी से कलम चलाई। उनका कहना था “मैं कविता, से कोयला उद्योग की कालिख धोने चमकाने के साथ-साथ श्रम व श्रमिक की महत्ता को कविता में पुनर्स्थापित करने का काम कर रहा हूँ।”

ऐसे समय में जब किसान और मजदूर कविता से लगभग बहिष्कृत हैं, जब कामगारों की दुर्दशा पर विमर्श स्थगित है, तब भी कलरिहा उसी ताकत और उसी उत्साह से लिखते रहे। इसीलिए मैं बहुत जिम्मेदारी से कहता हूँ कि ‘पोस्ट ग्लोबलाइजेशन के वे बड़े सशक्त कवि हैं। उनके पास कहने के लिए बहुत कुछ ऐसा है जो वैश्वीकरण, उदारीकरण एवं निजीकरण की आँधी में उड़ा दिया गया था, जिसे कविता या कहानी की विषयवस्तु के काबिल नहीं समझा जाता था । वह सब उनकी कविताओं में गहरे मौजूद है।

“कलरिहा’ कहते हैं और कहते जाते हैं… इस ‘रौ’ में बहते हुए वे शिल्पगत और भाषागत विचलन की भी परवाह नहीं करते। उनकी कविताओं में बात बोलती हैं और पाठक को भीतर तक छूती है। उन्हें पढ़ा जाना चाहिए। कविता का जो “मिसिंग फैक्टर” है वह कहीं “और नहीं ‘कलरिहा’ की कविताओं में जज्ब है।

संतोष कुमार द्विवेदी,
कवि एवं आलोचक

Author

Shankar Prasad Verman 'Kalriha'

Format

Hardcover

ISBN

978-93-95432-89-4

Language

Hindi

Pages

120

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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