बाबा बैद्यनाथ झा जी भावयित्री प्रतिभासंपन्न कवि हैं। कुण्डलिया उनकी सर्वप्रिय विधा है। बाबा का यह संकलन सामाजिक संचेतना, राष्ट्र-प्रेम, सौहार्दपूर्ण संबंध, नीतियुक्त संदेश, लेखकीय धर्म, नारी विमर्श, पर्यावरण-परिवर्तन, वन-जल-वायु संरक्षण, पौराणिक आख्यानकों, हास-परिहास, प्रणय-तरंग, शृंगारिक मनके, व्रत-त्यौहार, प्राकृतिक घटकों, प्रेरक-प्रसंगों, समसामयिक चटपटे व्यंग्य समेत अनगिन विषयों से परिपूर्ण है। कहीं भी किसी भी कुंडलिया में न तो भाव भंग हुआ है, न ही विधान विचलन है और न कहीं रोचकता का ह्रास हुआ है।
Author | बाबा बैद्यनाथ झा |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-81-984070-9-2 |
Language | Hindi |
Pages | 128 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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