नाचे आम आदमी (Nache Aam Aadami / Rajesh Jain Rahi)

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प्रदेश के नामी रचनाकार राजेश जैन ‘राही’ बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों ने उन्हें कभी दोहे, कभी मधुर गीत-ग़ज़ल तो कभी हास्य व्यंग्य लिखने के लिए प्रेरित किया है।
81 व्यंग्यों से सुसज्जित उनका व्यंग्य संग्रह ‘नाचे आम आदमी’ (‘राही’ की फुलझड़ियाँ) आपके कर कमलों में है। ‘फुलझड़ियाँ’ का शाब्दिक अर्थ होता है ‘हँसी मज़ाक की बात करना’। राजेश जैन ‘राही’ ने अपने मनोभावों को हँसी मज़ाक के अंदाज़ में बड़ी ही ख़ूबसूरती के साथ गद्यात्मक एवं पद्यात्मक शैली में पिरोया है। उनके लगभग सभी व्यंग्य भाषा की सरलता, विचारगर्भिता एवं स्पष्टवादिता के कारण प्रभावित करते हैं। ‘राही’ ने अपनी फुलझड़ियों में सामाजिक, राजनीतिक, साहित्यिक एवं पारिवारिक विसंगतियों पर चुटिले अंदाज़ में व्यंग्य कसा है। व्यंग्य सामाजिक पीड़ा एवं समस्याओं पर केन्द्रित होता है। व्यंग्य का उद्देश्य किसी को नीचा दिखाना या उपहास उड़ाना कतई नहीं होता। प्रस्तुत संग्रह में राही जी ने इस बात का भी ध्यान रखा है।

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