मनोकामना से मोक्ष तक (Manokamna Se Moksh Tak / Kumud Anunjaya)

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बाहरी तौर पर ये कविताएंँ प्रेम के स्नेहिल स्पर्श से सहलाती मालूम पड़ती हैं जबकि थोड़ा ध्यान से देखें तो इनके भीतर वर्जनाओं से मुठभेड़ करती स्त्री को बखूबी पहचाना जा सकता है। प्रियतम का नाम लिखकर मिटा देने वाली लजीली स्त्री जब अपने निर्णय खुद लेने का साहस जुटाती है तब उपेक्षित स्त्री का वर्चस्व अचानक ही हाशिए से केंद्र में आता दिखाई देने लगता है। अपने पहले ही संग्रह से स्नेहिल भावात्मकता और वैचारिक प्रखरता के साथ स्थान बनाती कुमुद ‘अनुन्जया’ निर्णायक भूमिका में आने का साहस रखती हैं।

Author

Kumud Anunjaya

Format

Paperback

ISBN

978-93-95432-31-3

Language

Hindi

Pages

136

Publisher

Shwetwarna Prakashan

3 reviews for मनोकामना से मोक्ष तक (Manokamna Se Moksh Tak / Kumud Anunjaya)

  1. Anju Bala

    Great work well done keep it up

  2. रमाकान्त शर्मा

    अद्भुत, प्रशंसनीय….
    भाषा, भाव, शैली……उत्कृष्ट एवं अनुकरणीय ।

  3. Sandeep-garg

    Very good Mam .Great work .

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