कवि राकेश रमण ‘रार’ द्वारा सृजित ‘मन का स्पन्दन’ में जीवन की क्रियाओं और उनसे सम्बद्ध चेतना एवं कविता-भाषा का एक ऐसा संश्लिष्ट रूप निर्मित हुआ है, एक अन्विति निखरी है, जिसमें अनुभूति का संवेदन और वैचारिकता का प्रक्षेपण समान अनुपात में रूपायित हुआ है। ‘मन का स्पन्दन’ सहज गत्यात्मक भाषा का आदर्श प्रस्तुत करता है और जीवन को कविता का जीवन बनाने की अदम्य लालसा उत्पन्न करता है।
Author | राकेश रमण 'रार' |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-93-49136-90-8 |
Language | Hindi |
Pages | 160 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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