‘मैं नास्तिक क्यों हूँ’ में भगत सिंह ने धार्मिक आस्थाओं को तर्क और व्यावहारिक दृष्टिकोण से चुनौती दी और यह तर्क दिया कि धर्म, खासकर भारतीय समाज में, कभी-कभी समाज की प्रगति और स्वतंत्रता के रास्ते में रुकावट डालता है। उन्होंने कहा कि धर्म और ईश्वर पर विश्वास केवल अंधविश्वास और कुरीतियों को बढ़ावा देता है और व्यक्तिगत स्वतंत्रता और तर्कसंगतता के लिए यह एक बाधा हो सकता है।
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Author | भगत सिंह |
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Format | Paperback |
ISBN | 978-93-49136-52-6 |
Language | Hindi |
Pages | 28 |
Publisher | Shwetwarna Prakashan |
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