लिक्खा मैंने भोगा सच (Likkha Maine Bhoga sach / Amar Pankaj)

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अमर पंकज एक प्रसिद्ध हिंदी ग़ज़लकार हैं। इनकी ग़ज़लें सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर केंद्रित होती हैं।ग़ज़लों से ग़रीबी, भ्रष्टाचार सामाजिक अन्याय के विरुद्ध आवाज़ आती है। ग़ज़लों में एक गहरी भावनात्मकता और संवेदनशीलता भी है जो पाठकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। कहीं किसी ग़ज़ल में प्रेमऔर सौंदर्य की भी प्रधानता है। संग्रह की ग़ज़लों की एक यह भी विशेषता है कि सरल और स्पष्ट भाषा में ग़ज़लें लिखी गई हैं जो पाठकों को आसानी से समझ में आती है। भाषा की यही समझ इन्हें विशिष्ट ग़ज़लकार का दर्ज़ा देती है। साथ ही एक गहरा दर्शन और भोगे हुए यथार्थ की सामाजिक चेतना है जो पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है।
विशेषताओं के क्रम में यह कहना भी उचित होगा सृजन में आस्था रखने वाले अमर पंकज स्वभाव से मधुर, कोमल और मोहक इंसान हैं। छल-प्रपंच से कोसों दूर। इनकी ग़ज़लों में ही इनका व्यक्तित्व दिखाई देता है।

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