डॉ. राम गरीब पाण्डेय ‘विकल’ के सत्तावन गीतों के इस संग्रह ‘कितना चन्दन कितना पानी’ ऐसे गीतों को समाहित किया गया है, जो वैयक्तिक न होकर लोक सापेक्ष्य हैं। कलेवर की दृष्टि से कुछ गीतों का कलेवर बड़ा है, तो कुछ का छोटा भी है। गीत तत्वों का निर्वाह करते हुए, लोक के बीच से गीतों की विषय वस्तु का चयन कर लिखे गये ये गीत स्थायी प्रभाव उत्पन्न करने वाले हैं।
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