ख़ुश रहो मुनमुन (Khush Raho Munmun / Rekha Bharti Mishra)

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रेखा भारती मिश्र एक सुपरिचित लेखिका हैं। बड़ों के लिए भी वह रचती हैं और बच्चों के लिए भी। उन्होंने बालमन की बारीक पड़ताल की है। एक माँ के रूप में, एक शिक्षिका के रूप में भी। तभी तो अपनी कहानियों में वह बच्चों की आँखों से उन घटनाओं को देखती हैं। शिक्षिका की भाँति भी उन घटनाओं को देखती हैं। शिक्षिका की भाँति समस्याओं पर नज़र रखती हैं। फिर एक मनोवैज्ञानिक की तरह तर्कसंगत ढंग से समाधान भी ढूँढ निकालती हैं। समाधान ऐसा कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे! कहने का मतलब यह कि शिशु-बालक के भीतर पनप रही बुराई का अंत भी हो जाए और उनके सुकोमल मन पर कोई दुष्प्रभाव भी न पड़े।
पन्द्रह कहानियों के इस संग्रह में शिशुओं, बालक-बालिकाओं की अभिरुचि के कथानकों को कहानी का विषय बनाया गया है। सभी कहानियों के पात्र या तो बच्चे हैं अथवा उनकी पसन्द के चूहे, मछली, चींटी, कबूतर आदि। सरसता इनकी जान है। भाषा सरल और सुबोध है। क़िस्सागोई इनकी ख़ासियत है। प्रत्येक कहानी संदेशमूलक है। मगर इनमें जबरदस्ती कोई उपदेश नहीं थोपा गया है। बच्चों को इन्हें पढ़ते हुए मज़ा आएगा। ऐसा लगेगा जैसे उनके मन की बात कहानी में पिरोई गई हो। खेल-खेल में ही जीवनमूल्य से जुड़ा संदेश हासिल हो जाएगा।

Author

Rekha Bharti Mishra

Format

Paperback

ISBN

978-93-49136-72-4

Language

Hindi

Pages

72

Publisher

Shwetwarna Prakashan

2 reviews for ख़ुश रहो मुनमुन (Khush Raho Munmun / Rekha Bharti Mishra)

  1. Rated 5 out of 5

    अनुभा गुप्ता

    खुश रहो मुनमुन रेखा जी द्वारा रचित बहुत ही अच्छी रचना है ।इन्होंने बड़ों के साथ बच्चों के लिए भी प्रेरणा से श्रोत और रोचक तथ्य प्रस्तुत किया है।इन्होंने अपने जिम्मेदारी को निभाते हुए साहित्य का नाम भी गौरवंतित किया है।

  2. Rated 5 out of 5

    vandana bajpai

    आज के इंटरनेट के युग में बच्चों के लिए लिखना आसान काम नहीं है। सही-गलत स्रोतों से बहुत सारी जानकारी उनके भोले मन को दूषित कर रही है। इस मूलभूत समस्या को देखते हुए रेखा भारती मिश्रा जी जब बच्चों के लिए लिखती हैं तो बदलते दौर के बदलते बाल मनोविज्ञान का खास ख्याल रखती हैं। उनकी कहानियाँ बच्चों को उपदेशात्मक नहीं लगती और खेल-खेल में उनकी हथेली पर जीवन का कोई अनमोल सूत्र रख देती हैं। ‘खुश रहो मुनमुन’, ‘अनोखा दंड’, ‘जिद नहीं करूंगी’ ,’खुशियों का खजाना’ जैसी बेहतरीन कहानियों से सुसज्जित इस संग्रह के लिए रेखा जी को बधाई ।

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