ख़ामोशी अच्छी नहीं लगती (Khamoshi Achchhi Nahi Lagati / Dr. Sanju Sahu)

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कविता मानवीय भावनाओं, संवेदनाओं को जागृत करने वाली संजीवनी है। चाहे वह जिस भी रूप में लिखी गयी हो उसके अन्दर जीवन सदैव विद्यमान रहता है। जीवन के भाव रूपी सागर में हम कभी गहराते हैं तो कभी उतराते हैं और हमारे विचार इस ज्वार-भाटा के बीच हमें डूबने नहीं देते। इन विचारों से कभी जीवन की प्रेरणा प्राप्त होती है तो कभी उथल-पुथल
के बीच भाव आर्द्र भी हो जाते हैं। कवयित्री का यही यथार्थ कविताओं में मुखर हुआ है। ‘ख़ामोशी अच्छी नहीं लगती’ की कविताएँ अभिधा, लक्षणा और व्यंजना के माध्यम से कभी भावों की स्थावर और जंगम तो कभी सुदृढ़ और अनगढ़ तस्वीरें सामने प्रस्तुत करती हैं।
कवयित्री का विस्तृत विचार लोक स्व से लोक की यात्रा करता है। जहाँ यादों की दुनिया, ख़्वाहिश, विश्वास हार और जीत के पलड़ों पर दोलन करते नज़र आते हैं।

-शारदा सुमन
सह निदेशक-कविताकोश

 

Author

Dr. Sanju Sahu

Format

Hardcover

ISBN

978-81-19590-33-9

Language

Hindi

Pages

78

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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