कौन आहटों में है (Kaun Aahton Mein Hai / Madhuri Swarnkar)

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माधुरी स्वर्णकार की ग़ज़लों में जीवन की तमाम सहमतियाँ असहमतियाँ हैं। रचनात्मक क्षमता है। जीवन-संघर्ष से उत्पन्न निरंतर वर्तमान के सच को समझते, भोगते और जानते हुए भविष्य के प्रति सचेत एवं सार्थक अपेक्षाएँ हैं। यथार्थ के धरातल पर सुनहरे सपनों का सुकून है। स्मृतियों के संसार को ग़ज़ल-सम्पदा के रूप में विलोचित करने की सफल चेष्टा है। परिपक्वता तथा अनुभवों-अनुभूतियों की सघनता से ओत-प्रोत इनकी ग़ज़लें मेरे निष्कर्ष को प्रमाणित करती हैं। संग्रह की ग़ज़लें मुख्यतः प्रेम, संघर्ष और मानवीय जीवन के संकेतों से परिपूर्ण हैं। ये अपने युग की तमाम प्रकार की चेतनाओं को समर्थ वाणी प्रदान करने वाली अद्वितीय शायरा हैं। इनकी चेतना को व्यापक स्वरूप देता यह शेर-
गर्दिशों में पली बढ़ी हूँ मैं
इसलिए कुछ अलग रही हूँ मैं
-अनिरुद्ध सिन्हा

Author

Madhuri Swarnkar

Format

Hardcover

ISBN

978-81-19231-25-6

Language

Hindi

Pages

120

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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