‘कशमकश’ मन की उपज है। मन- जो हमारे शरीर मन कहीं स्थित नहीं है- पर वह है। कहाँ है, किस आकार का है, किसी को नहीं पता किन्तु हमारे जीवन के प्रत्येक पल का, वो मन ही मन उत्तरदायी है। किसी पल ये हमें रुलाता है, तो कभी हँसाता है। कभी ये मन अशान्त तो कभी प्रफुल्लित हो जाता है और कभी असमन्जस से घिर जाता है। कवि आशुतोष की रचनाओं से पता चलता है कि कवि के दिमाग पर मन ही हावी है। 70 कविताओं की इस पुस्तक ‘कशमकश’ में सहजता, सरलतता के साथ-साथ भाव प्रबलता तथा सम्वेदनशीलता का समावेश है। इसकी संग्रह की सभी रचनाएँ हमसे कुछ न कुछ कहती प्रतीत होती हैं जो हमारे जीवन के विभिन्न पहलू को दर्शाती है। आशुतोष सिंह ‘साक्षी’ की कृति साहित्य जगत में कई आयाम स्थापित करती हैं।
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