कनेर के फूल (Kaner Ke Phool / Rajesh Ojha)

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एक रचनाकार के रूप में राजेश का साहित्य-प्रवेश कहानी विधा के माध्यम से हुआ है। विद्यार्थी जीवन से यह विधा उनके लेखन की प्राथमिक विधा से आगे बढ़कर अद्यतन केन्द्रीय विधा के रूप में सामने है। राजेश के लेखन में कविता और सृजनात्मक गद्य की व्यावर्तक रेखाएं नहीं देखी जा सकती हैं। उनकी कहानियों में काव्यात्मक प्रवाह की अदृश्य उपस्थिति महसूस की जा सकती है। रचनाधर्मिता की सार्वभौमिक उपस्थिति उनकी कहानियों की मूल पहचान है। सामान्य के वैशिष्ट्य रेखांकन को उनकी कहानियों का विरल पक्ष माना जा सकता है। उनका कहानीकार पाठक को आद्योपांत बाँधे रहता है। पाठक कहानी के प्रथम चरण में ही प्रवेश कर पाठक के साथ अंतर- यात्रा करने लगता है और निष्पत्ति तक पहुँचता है। राजेश का कहानीकार पाठक को संवेदना के पथ पर निर्वाध अग्रसर कर रचनात्मक मोक्ष प्रदान करता है। आजकल की कहानियों में चिंतन-विमर्श एवं शोध के परिदृष्य दिखाई देते हैं किन्तु राजेश की कहानियां संवेदना एवं मूल्यों का मानचित्र गढ़ती हैं।

Author

राजेश ओझा

Format

Paperback

ISBN

978-81-19590-27-8

Pages

116

Language

Hindi

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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