कब तक चलता पीछे-पीछे (Kab Tak Chalta Peechhe Peechhe / Omprakash Yati)

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यती जी की अधिकांश ग़ज़लों में गाँव-देहात, किसान- मज़दूर की स्थितियों का चित्रण करता हुआ कोई न कोई शेर प्रायः मिल जाता है। परिवार, रिश्ते-नाते, प्रकृति और पर्यावरण भी उनकी ग़ज़लों के प्रमुख विषयों में हैं। संयुक्त परिवारों के टूटने और बुज़ुर्गों के प्रति उपेक्षा के भाव को लेकर उनकी चिंता जगह-जगह अभिव्यक्त होती है, पौराणिक सन्दर्भ भी उनकी ग़ज़लों में बहुत सुंदरता के साथ आते हैं। उनके शेर जीवन को हमेशा सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी निराश न होते हुए संघर्ष करते जाने की प्रेरणा देते हैं। रवानी और कहन की सहजता भी उनकी ग़ज़लों की विशेषता है जिसके कारण उनके शेर सीधे दिलों तक पहुँचते हैं और अपना प्रभाव छोड़ते हैं।

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