देवेंद्र शर्मा ‘इंद्र’ का नाम नवगीत के अग्रणी रचनाकारों में गिना जाता है। नवगीत के अलावा उन्होंने लगभग बीस-बाईस हज़ार दोहे तथा पर्याप्त संख्या में ग़ज़लें भी लिखी हैं। ‘निराला’ को केंद्र में रखकर ‘कालजयी’ तथा ‘मैं साक्षी हूँ’ (अप्रकाशित) खंड काव्य भी उनकी छंदोबद्ध रचनाएँ हैं। प्रकाशित संग्रहों में ‘पथरीले शोर में’ उनका प्रथम नवगीत संग्रह है। इससे पहले उन्होंने कई संग्रह और लिखे, जो अप्रकाशित हैं। इन अप्रकाशित रचनाओं के अवलोकन से पता चलता है कि ‘नवगीत’ तक वे अन्य प्रकार की रचनाओं की पगडंडियों से आए हैं। प्रस्तुत पुस्तक में ‘इंद्र’ जी की प्रकाशित, अप्रकाशित गीत-यात्रा पर विचार किया गया है। इस गीत-यात्रा को समझने, समझाने का यथाशक्ति निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ प्रयास किया गया है।
– वेद प्रकाश शर्मा ‘वेद’
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