हिन्दी ग़ज़ल की शक्ति और संचेतना’ (Hindi Gazal Ki Shakti Aur Sanchetana / Gyan Prakash Vivek)

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‘हिन्दी ग़ज़ल की शक्ति और संचेतना’ ज्ञान प्रकाश विवेक जी के आलोचनात्मक लेखों का संग्रह है, जो हिन्दी ग़ज़ल की विकास यात्रा को समझने के लिए एक ज़रूरी पुस्तक के रूप में हमारे सामने है। वे कहते हैं- “हिन्दी ग़ज़ल की शैली और स्वरूप के अध्यन से इस बात का शिद्धत से अहसास होता है कि हिन्दी ग़ज़ल बेशक उर्दू ग़ज़ल से अवतरित हुई हो, लेकिन रफ़्ता-रफ़्ता इस विधा में अपना मिज़ाज, महुावरा, भाषा विकसित किया है। हिन्दी ग़ज़ल का उर्दू ग़ज़ल से भिन्न स्वरूप है।
हिन्दी ग़ज़ल के पक्ष में सबसे बड़ी बात यह कही जा सकती है कि पचास वर्षों के कालखण्ड में इस विधा में अपना विशिष्ट स्वभाव और शैली
विकसित की है। यहाँ तक कि शिल्प और संरचना की दृष्टि से भी हिन्दी
ग़ज़ल, निरंतर परिपक्व और विवेकशील विधा का रूप धारण कर रही है।

Author

Gyan Prkash Vivek

Format

Paperback

ISBN

978-81-19590-70-4

Language

Hindi

Pages

192

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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