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हिन्दी ग़ज़ल के साक्षी (Hindi gazal ke sakshi / Edi. Avinash Bharti)

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निः संदेह हिन्दी ग़ज़ल अपने स्वर्ण काल को जी रही है। ग़ज़ल की यह विकास यात्रा अमीर ख़ुसरो से होते हुए आज के हज़ारों समर्थ एवं संजीदा ग़ज़लकारों से होकर गुज़र रही है। कई दशकों पहले दुष्यंत ने जिस ग़ज़ल परिपाटी की नींव रखी थी, वह परिपाटी आज ग़ज़ल लेखन की पहली शर्त बन चुकी है। हिन्दी ग़ज़ल को साहित्य की सबसे लोकप्रिय विधा के रूप में स्थापित करने में समकालीन हिन्दी ग़ज़लकारों की भी महती भूमिका रही है जिसे कभी भी, किसी भी शर्त पर नकारा नहीं जा सकेगा। इस इंटरनेट और मोबाइल युग की लोलुपता में भी युवाओं की ग़ज़ल-लेखन में बढ़ती भागीदारी भविष्य को लेकर शुभ संकेत है। विदित हो कि अपने ग़ज़ल विषयक शोध-कार्य के दौरान मैंने कई तरह की कठिनाइयों का सामना किया जिसमें दुष्यंत से पहले के ग़ज़लकारों का सूचीबद्ध न होना और उनकी ग़ज़लों की अनुपलब्धता सबसे बड़ी समस्या रही। इसलिए भी मेरी कोशिश है कि जिन कठिनाइयों का सामना मैंने किया है, कालांतर में उसे किसी और को न करना पड़े।

Author

Editor Avinash Bharti

Format

Paperback

ISBN

978-81-969433-4-9

Language

Hindi

Pages

408

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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