हिन्दी ग़ज़ल और डॉ. किशन तिवारी (Hindi Gazal Aur Dr. Kishan Tiwari / Edi. Hareram Sameep)

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डॉ. किशन तिवारी के अब तक छह ग़ज़ल संग्रह तथा एक बुन्देली गीत संग्रह प्रकाशित हुए हैं। इसके साथ ही उन्होंने ‘आधुनिक हिन्दी ग़ज़ल’ विषय पर पीएच. डी. उपाधि हेतु, सन 1995 में शोध कार्य कर हिन्दी ग़ज़ल को नए सिरे से परिभाषित भी किया है। इनकी ग़ज़लें अपने आसपास के समाज और जीवन में हो रही घटनाओं को अपनी ग़ज़ल का विषय बनाती हैं। अर्थात उनकी ग़ज़लों का कथ्य उनके परिवेश से सन्नद्ध रहा है, जिसको उन्होंने बड़ी कलात्मकता से चित्रित किया है। डॉ. तिवारी के यहां आम आदमी की पीड़ा है, बुनियादी समस्याएँ जैसे भूख अन्याय और शोषण के विरुद्ध निरंतर आवाज़ें भी हैं, जो सामाजिक परिवर्तन की नयी भूमिका निर्मित करती हैं। यही कारण है कि उनका लेखन महत्वपूर्ण है और गहरी पड़ताल की मांग करता है।

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