हरिया (Hariya / Dr. Jatadhar Dubey)

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अंगिका साहित्य में मील रोॅ पत्थर

कवि मन रोॅ कथाकार डॉ. जटाधर दुबे रोॅ अंगिका में पहिलोॅ कहानी संग्रह छेकै ‘हरिया’। हिनकोॅ कहानी सब जिनगी रॉे अनुभव के विमर्श आरो विश्लेषण करै छै। ई सब कहानी कल्पना के कैनवास पर बनलॉे चित्र नै छेकै, मतुर हुनकॉे भोगलॉे आरो अनुभव करलॉे सच के चित्रण छेकै। गामॉे रॉे धूरा, गामॉे रॉे खेत-खलिहान आरॉे गामॉे रॉे रचलॉे बसलॉे जिनगी के लेखक ने नगीचॉे से देखलॉे, समझलॉे, अनुभव करलॉे आरो भोगलॉे छै, आरो वहा सच के सहज, सरल भाषा शैली में अभिव्यक्त करलॉे छै। चूंकि लेखक झारखण्ड रॉे माटी में ही जनम लैके पललॉे, बढ़लॉे छै, शायद यही लेली हिनकॉे कहानी में वहाँ रॉे पथरीलॉे माटी रॉे सौंधॉे गंध भी छै। भले आदिवासी समाज रॉे विकास के नाम पर आय झारखण्ड अलग राज्य बनी गेलॉे छै, मतुर हौ बेचारा गरीब, दलित, शोषित लोगॉे के कोय हित नै होवै पारलॉे छै। मूल झारखंडी आजखने भी मजदूरी करै ले ही विवश छै। आय्यो हौ सब के वेहे हाल छै। ‘हरिया’ कहानी संग्रह के कहानी सब में है सब स्थिति के मार्मिक, बेबाक चित्रण होलॉे छै। शीर्षक कहानी ‘हरिया’ एक वहा रं रॉे कहानी छेकै। है संग्रह रॉे सबटा कहानी सिनी जनता के दुख दर्द आरो कष्टमय जीवन के साथैं मनुष्य जीवन के सूक्ष्म, क्लिष्ट आरो द्वंदमय सच्चाई के भी वर्णन करै छै। हमरा आशा आरो पूर्ण विश्वास छै कि डॉ. जटाधर दुबे रॉे है सब कहानी अंगिका साहित्य में मील रॉे पत्थर साबित होतै।

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