गुलाबी गलियाँ (Gulabi Galiyan / Edi. Suresh Saurabh)

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शब्द-शिल्पी सुरेश सौरभ जी ने वेश्याओं के जीवन से संबंधित हर पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह पुस्तक सम्पादित की है। यह लघुकथा-संकलन वास्तव मेें वेश्याओं की गहन पीड़ाओं को रेखांकित कर रही है। सुंदर भाषा-शैली, गहरे भावों से सजी गुलाबी गलियाँ बेहद मार्मिक और हार्दिक है, जो पाठकों को आकर्षित करेगी और विमर्श का हिस्सा बनेगी। वेश्याओं के मेले में उनके जिस्मों को नोंचने तो तमाम लोग आते हैं, लेकिन उनकी हार्दिक पीड़ाओं को हरने कोई नहीं आ पाता है। सआदत हसन मंटो ने ठीक ही कहा है- ‘‘वेश्याओं के इश्क़ में एक ख़ास बात काबिल-ए-ज़िक्र है। उनका इश्क़ उनके रोज़मर्रा के मामूल पर बहुत कम असर डालता है। ‘गुलाबी गलियाँ’ विमर्श की नई दुनिया में स्थान बनाएगी ऐसी आशा है।

-नृपेन्द्र अभिषेक नृप (युवा स्तम्भकार)

Format

Hardcover

Author

Suresh Saurabh

ISBN

978-81-19231-18-8

Language

Hindi

Pages

124

Publisher

Shwetwarna Prakashan

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