विमला रस्तोगी जी की ये कहानियाँ उनके मंजे हुए कथा शिल्पी की छवि परोसती हैं। इनकी भाषा सरल और सहज है। इनमें कथा-रस विद्यमान है। कहानियों का ताना-बाना बालकों के इर्द-गिर्द ही बुना गया है इसलिए कहानियों के पात्रों से उनका सहज तादात्म्य बनते देर न लगेगी। संवाद स्वाभाविक और चुटीले हैं और भाषा शैली भी बोधगम्य है अस्तु, छोटे बच्चों को यह पुस्तक विशेष रूप से पसंद आएगी, इसमें संदेह नहीं।
–डॉ. नागेश पांडेय ‘संजय’
प्रसिद्ध बाल साहित्यकार, शाहजहांपुर
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